नीतीश सरकार का विकास
मॉडल
लोकसभा चुनाव के समीप
आते- आते नितीश सरकार के विकास माडल का पोल खुल गया है . केंद्रीय सांख्यिकी
कार्यालय द्वारा जारी डाटा के अनुसार जीडीपी (सकल-घरेलू उत्पाद ) विकास दर जो
2012-13 मे 15.05 % के उच्च स्तर तक पहुँच गया था 2013-14 मे यह घट कर 8.82% रह गया है . विकास दर में यह भारी गिरावट प्रासंगिक रूप से भाजपा-
जदयू के गटबंधन के मध्य जून मे टूटने के समय से मेल खाती है . नौ महीने बाद विकास
दर मे गिरावट की यह सीधी ढाल आज तक दर्ज
गिरावट मे सबसे अधिक है . गतबंधन के वक्त भी वो विभाग जो भाजपा नेतृत्व के
पास थे उन्होने बेमिसाल विकास दर दर्ज किया जबकि जदयू के जिम्मे जो विभाग थे उनका
विकास दर मंद गति से बढ़ा है . बिजली कि खपत राष्ट्रीय स्तर पर औसतन प्रति व्यक्ति 778.63 है, जबकि बिहार मे यह मात्र 118
केडब्लूएच है जो भारतवर्ष में सबसे कम है . बिजली कि
अधिकतम मांग 2011-12 मे 2,642 मेगावाट था जबकि स्थापित क्षमता 440 मेगावाट तापीय विद्युत संयंत्रों
से और 54.3 मेगावाट हाइडल पॉवर है. इसमे से 2011-12 में केवल 38.9 मेगावाट का
उत्पादन हुआ है (स्रोत बिहार आर्थिक सर्वेक्षण).
जहाँ सामान्य प्रशासन, गृह, सतर्कता,
कानून और व्यवस्था की व्यक्तिगत रूप से शुरू से ही मुख्यमंत्री
नितीश कुमार द्वारा नियंत्रित किया गया हो वहाँ घूसखोरी और भ्रष्टाचार आज चरम सीमा
पर है , माओवादी और आतंकी गतिविधियाँ बढ़ी हैं और यह सभी उनके
कार्यशैली को दर्शाता है . पिछले कुछ समय में इंडियन मुजाहिदीन से ताल्लुक रखने के
आरोप में गिरफ्तार 13 लोगों में 12 के दरभंगा और उसके आसपास के होने से मिथिलांचल
को इस आतंकी संगठन के गढ़ के रूप में देखा जाने लगा और इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी
(एनआइए) द्वारा दरभंगा मॉड्यूल के नाम से सम्बोधित किया जा रहा है . बिहार सरकार
के मुसलमानों को वोटबैंक के रूप मे देखने
के रवैये ने दरभंगा और मधुबनी को भारत के आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के गढ़ के
रूप में स्थापित करने मे मद्दत की है. अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति जो नीतिशजी ने
अपनाई है इससे बिहार में आतंकियों की गतिविधियां तेज हुई हैं. बिहार में कानून व्यवस्था गिरने का प्रमुख कारण है कि नीतिश
सरकार उन्ही दागी जंगल राज्य मे शामिल लोगों की मद्दत से सरकार चला रहें हैं जिनपर गम्भीर आपराधिक आरोप लगे हुये हैं.