कुछ लोग
जिन्हें हिन्दू या हिन्दी संस्कृति की समझ ही नहीं है और जो हिन्दुत्व को साम्प्रदायिक
बताते हैं और वोटबैंक कि रणनीति के तहत समाज को हिन्दू , मुसलमान
, दलित – महादलित ,
अगड़े – पिछड़े मे बाँट कर राष्ट्र का ध्यान मुख्य आम
आदमी के मुद्दों से हटाने कि कोशिश कर रहे हैं . 1995 के अपने एक आदेश से माननीय
उच्चतम न्यायालय ने हिन्दुत्व और हिंदूइज़्म को भारत वासियों की जीवन जीने की शैली के
रूप मे परिभाषित किया है . हिन्दुत्व ने सदियों
से मुसलमानों और हिन्दुओं में एकता कायम की है और रहीम, कबीर, रामदास
और महात्मा गाँधी इत्यादि कई संतों और मौलवियों ने इसी धारा पर काम कर राष्ट्र को एकता
और सद् –भावना के सूत्र मे बांधा है . उसी हिन्दुत्व
और भारत कि संस्कृति को वे लोग बदनाम करने पर तुले
हुए हैं .
भगवान राम भारतीय समाज के जीवन आदर्श हैं.
रामराज्य से सुशासन की प्रेरणा, मार्गदर्शन एवं उसकी महत्ता का बोध होता है . रामराज्य वह बैरोमीटर
है जिससे भारतवर्ष की जनता किसी शासक के शासन का माप करती है। राम के नाममात्र से ही
धर्मनिरपेक्षता ,
सदाचारी एवं त्यागमय जीवन , श्रद्धा , राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रभक्ति जागृत होती है . राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , संत कबीर ,
रहीम इत्यादि कई महापुरुष मौलवी , संत भी ऐसा विचार रखते थे . राष्ट्रपिता महात्मा गांधी अपनी सर्वधर्म सभाओं मे
हमेशा एक प्रथना गाया करते थे –“ रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम” --. उन्होने जनता से राम के नाम को ईश्वर –अल्लाह दोनों के नाम
से जोड़ कर देखने की विनती की थी . भारतवर्ष मे फिर से रामराज्य आए , ऐसी कामना वे हमेशा करते रहे . भारतवर्ष मे रामजी के आदर्श दर्शन एवं त्यागमय जीवन
जन जन मे बैठा है , जिसे चाहकर भी कोई राजनैतिक पार्टी मिटा नहीं सकती .
कुछ ऐसे ही लोग भारतीय संस्कृति और मानव धर्म के विरुद्ध, भारतीय समाज मे वर्षों
से चली आ रही हिन्दू मुस्लिम एकता एवं भाईचारे और सदभाव मे फिर से संदेह और टकराव उत्पन्न
करने कि कोशिश कर रहे हैं जिससे राष्ट्रीय भावना कमजोर हो रही है .